परसरामपुरा में करोड़ों की लागत से बनाये गए सरकारी खेल स्टेडियम पर मंडराए खतरे के बादल
ग्रामीण बोले हरगिज नहीं होने देंगे ऐसा
नवलगढ़ न्यूज़ (श्रवण नेचु) - करोड़ों की लागत से बने परसरामपुरा के खेल स्टेडियम पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। हाईकोर्ट ने तहसीलदार को तोड़ने के आदेश दिए हैं। सरकारी आदेश में स्टेडियम की चार दिवारी, उसमें लगा ट्यूबवेल तथा नवलगढ़, उदयपुरवाटी और सिंगनोर जाने वाले मार्ग पर बनी सीमेंट व डामर सड़क को भी अवैध माना है। अब उस पर समय रहते प्रशासन कार्रवाई करेगा। झुंझुनूं के ग्रामीण इलाके में सबसे बड़ा व पहला खेल स्टेडियम पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में बनाया गया था। जहां पर ग्रामीण प्रतिभाएं खेल की दुनिया में अपना कैरियर बना सके। करीब चार करोड़ की लागत से तैयार यह सरकारी खेल भवन और हॉस्टल तथा चारों ओर बनी चार दिवारी 2020 में पूर्व मंत्री व निवर्तमान विधायक डाक्टर राजकुमार शर्मा ने इसका शिलान्यास किया था। सरकारी खजाने से करीब चार करोड़ खर्च हुए थे। जिसमें खेल भवन और दफ्तर उसमें बना बच्चों का होस्टल शामिल है। इसके अलावा सीएस आर फंड से चार दिवारी और उसमें मिट्टी भराव में भी करीब चार करोड़ खर्च किए थे। अब इसी स्टेडियम को सरकार ने अवैध मानकर तोड़ने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने न्यायालय तहसीलदार, नवलगढ़ पटवार हल्का परसरामपुरा के हाल भूमि खसरा नंबर 1350 रकबा 34.38 हेक्टर गैर मुमकिन नदी में 3.36 हेक्टर सरकारी भूमि पर राजस्थान राज्य खेल परिषद जरिए जिला खेल अधिकारी झुंझुनू द्वारा अनाधिकृत रूप से उक्त भूमि पर अवैध रूप से चार दिवारी एवं निर्माणाधीन खेल स्टेडियम बनाकर अतिक्रमण को अवैध माना है। प्रकरण को राजस्थान राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के अंतर्गत दर्ज रजिस्टर अनधिकृत जारी नोटिस तलब किया गया। 17 दिसंबर 2024 के जारी नोटिस का जवाब दिया गया कि राजीव गांधी खेल स्टेडियम परसरामपुरा में उक्त भूमि नवयुग मंडल परसरामपुरा के नाम है। जिनके अध्यक्ष चंद्रप्रकाश शर्मा द्वारा दान की हुई है। जिसका खसरा नंबर 2707 रकबा 0.0100 हेक्टर पर राजीव गांधी खेल स्टेडियम का निर्माण किया हुआ है। जो कि किसी भी प्रकार का अतिक्रमण नहीं किया हुआ है। खेल स्टेडियम राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद का अधिग्रहण होना बताया है जबकि राजीव गांधी खेल स्टेडियम का समय-समय पर राजस्थान सरकार की स्वीकृति राशि के निर्माण करवाया गया है। उधर हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि परसरामपुरा के नदी क्षेत्र में अवैध तरीके से बनाया स्टेडियम और चार दिवारी अभी तक क्यों नहीं तोडे गये? कोर्ट के इस आदेश के बाद रेवेन्यू विभाग ने एक टीम का गठन किया और परसरामपुरा नदी क्षेत्र में भूमि खसरा नंबर 1350 का सीमा ज्ञान करवाया गया गया। न्यायालय तहसील के आदेश क्रमांक राजस्व 2025/124 दिनांक 24.2.25 को भू अभिलेख पटवारी हल्का के साथ राजस्व टीम मौके पर पहुंची टीम द्वारा जांच के बाद यह सामने आया कि अतिक्रमण हटाए जाने वाली भूमि पर खेल स्टेडियम एवं सार्वजनिक संरचना से घिरी होने के कारण कार्रवाई के दौरान भारी जन विरोध का सामना करना पड़ सकता है एवं मौके पर कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका होगी। रेवेन्यू विभाग की इस रिपोर्ट के बाद अभी प्रशाशन ने स्टेडियम को तोड़ने की तारीख तय नहीं की है। उच्च अधिकारी इस मामले को लेकर कभी भी भारी पुलिस जाब्ते के साथ अतिक्रमण हटा सकते हैं। मगर एक तरफ करोड़ों की सरकारी संपति का बड़ा नुकसान दूसरी तरफ प्रशासन पर दबाव, सोचने को मजबूर कर रहा है। हाई कोर्ट ने तहसीलदार को सरकारी भूमि पर राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद जरिए जिला खेल अधिकारी झुंझुनू के अनाधिकृत रूप से अतिक्रमण करने के फलस्वरुप अतिक्रमी घोषित किया जाकर उन्हें उक्त सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त किए जाने के आदेश दिए दिए थे। संबंधित भू अभिलेख की निरीक्षण एवं पटवारी हल्का को आदेशित किया जाता है कि राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद जरिए सरकारी भूमि से बेदखल कर सरकारी भूमि को मुक्त करने के आदेश जारी हुए थे। इधर झुंझुनूं के खेल अधिकारी राजेश ओला ने बताया है कि जिले के होनहार खिलाड़ी खेल जगत में आगे बढ़ने, उनमें बौद्धिक विकास हो। इसके लिए 2020 में सरकार ने बजट घोषणा में खेल स्टेडियम बनाया था। मेरे पास अभी तक सरकार और खेल विभाग का कोई नोटिस नहीं आया है। उधर तहसीलदार महेंद्र सिंह रतनू का कहना है कि कोर्ट के आदेश में अवैध अतिक्रमण होना सामने आया है। हमारे पास इसको मुक्त करने और हटाने के आदेश हैं, कभी भी कार्रवाई हो सकती है।